"अधूरी चाहत"
वह यूं रूठे की हम संभल नहीं पाए....
ऐसा छुते की पकड़ नहीं पाए.....
टूट गए हम...भूल गए हर बात...
लेकिन हर बात वोह भूल नहीं पाए...
ऐसा रूठे की हम समझ नहीं पाए...
साथी बहुत हैं....साथ निभाने के लिए...
लेकिन उनका साथ कभी भुला नहीं पाए..
हम तो खड़े थे उनके इंतज़ार मैं....
लेकिन वोह इंतज़ार हमारा कर नहीं पाए...
हमारा साथ निभा नहीं पाए..
यूँ छुते की हम पकड़ नहीं पाए...
अपने दिल से पुछा,लेकिन बता नहीं पाए...
वोह कुछ नहीं बोले,ना कुछ समझ पाए...
चाहत बहुत थी उनके लिए...
वोह ऐसी चाहत समझ नहीं पाए...
ऐसा रूठे की हम संभल नहीं पाए...
खड़े थे,,हाथ हमने बढाये थे...
वोह अपना हाथ बढ़ा नहीं पाए...
आँखों का पानी छुपा नहीं पाए...
यूँ टूटे की हम समझ नहीं पाए...
ऐसा चुहते की हम पकड़ नहीं पाए...
बस ये उनसे हम कह नहीं पाए..
Anuragg..
Anuragg..
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