"तलाश"
निकल पड़ा ना जाने किसकी तलाश मैं...
क्या कोई है मेरे इंतज़ार मैं...
नहीं जानता पहुचुंगा किस मुकाम में...
बस निकला हूँ अपनी तलाश में...
निकला हूँ अपनी तलाश में...
नहीं जानता कौन है मेरे एहसास में....
क्या कोई है मेरे अन्दर के इंसान मैं..??
क्या नींद मैं चलते उस इंसान को जगा पाउँगा..??
मनुष्य के व्यक्तित्व को क्या निखार पाउँगा...
अपनी तलाश को क्या पूरा कर पाउँगा..??
नहीं जानता कौन है मेरे विश्वास मैं....
कोई है मेरे साथ उजले अन्धकार में...??
क्या मैं उसको खंगाल पाउँगा..??
. फिर से जीना सिखा हूँ .क्या सिखा पाउँगा...??
जिस तलाश मैं हूँ...क्या उसे पूरा कर पाउँगा..??
बस निकल तो पड़ा हूँ..ना जाने किसकी तलाश मैं...
अपने एहसास मैं ...और तुम्हारी तलाश मैं...
अपनी पहचान मैं...उसकी तलाश मैं...
अपनी पहचान मैं और उसकी तलाश मैं....
Anuragg...
Anuragg...
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